बंदर पकड़ने के लिए दिल्ली नगर निगम को नहीं मिल रहे कलंदर
वर्तमान में दक्षिणी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली सभी निगमों में बंदरों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। दक्षिणी निगम के तहत वसंत कुंज, साकेत, ओखला, सैनिक फार्म और छतरपुर समेत अन्य इलाकों में बंदरों की भारी तादाद है। यह बंदर अब लोगों को निशाना बना रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में बंदरों के काटने से 950 लोग घायल हुए थे। इस साल भी बंदरों के काटने, बंदरों द्वारा सामान छीनने और बंदरों द्वारा कारोबारियों को परेशान करने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
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वहीं उत्तरी दिल्ली में बंदरों की संख्या सबसे अधिक है। यहां तीस हजारी, बाड़ा हिंदू राव, मॉडल टाउन, चांदनी चौक, सदर बाजार, सिविल लाइन, मजनूं का टीला, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जीटीबी नगर और इंद्रलोक समेत अन्य इलाकों में बंदरों के आतंक से लोग बेहद परेशान हैं। हालात ऐसे हैं कि दिल्ली मेट्रो के कई स्टेशनों पर भी बंदरों के हमलों की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति अध्यक्ष जय प्रकाश ने बताया कि बंदरों को पकड़ने के लिए मंकी कैचर ना मिलना एक बड़ी समस्या है। पहले एक बंदर को पकड़ने के लिए 1200 रुपये का बजट था लेकिन इतने पैसों में बंदर पकड़ने वाले लोग नहीं मिलते थे।
अब इस बजट को बढ़ाकर 2400 रुपए कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बंदर पकड़ने का काम वन विभाग का होता है लेकिन बंदर पकड़ने का जिम्मा निगम को सौंपा हुआ। चूंकि निगम को बंदर पकड़ने वाले कलंदर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए इस प्रस्ताव को दिल्ली सरकार के पास भेजा गया है कि वह बंदरों की पकड़ने की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपे।
पुलिस मुख्यालय की नई बिल्डिंग में भी बंदरों का आतंक
नई दिल्ली में बंगला साहिब गुरुद्वारे के पास दिल्ली पुलिस मुख्यालय की नई बिल्डिंग बनाई गई है। इस इलाके में बंदरों की संख्या अधिक होने के कारण बिल्डिंग में कई उपकरण भी नहीं लगाए जा सके हैं। बिल्डिंग के कुछ हिस्से में अभी शीशे लगाने का काम जारी है लेकिन बंदरों के आतंक को लेकर यहां पर भी लोगों में दहशत है
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